मैं सुषमा तिवारी मुंबई से हूं । दिल के भाव लेखनी से कागज पर उतारने की चाहत है बस। Kalyan Maharashtra
Share with friendsSubmitted on 06 Nov, 2019 at 06:46 AM
उगता सूर्य दर्शाता है प्रेरणा देता है मुझे अंधेरा सूर्य के जाने से नहीं होता जीवन में सही समय पर रोशनी होगी सफलता के प्रकाश की उम्मीद ना छोड़िए
Submitted on 13 Aug, 2019 at 07:31 AM
खड़े है अब भी वहीं, तेरी एक झलक तक नहीं दिखाई दे तेरी यादों के सहारे बस ज़िंदा है, रहम कर और रिहाई दे अब आगे जाना नहीं, पीछे का रास्ता ना दिखाई दे दुनिया वाले मगरूर कहने लगे हैं, अब कौन इन्हें सफाई दे
Submitted on 12 Jul, 2019 at 12:59 PM
हम दीवाने ही थे जो रो रहे थे खुशियां कम नहीं मिली थी बस मुट्ठी छोटी थी हमारी
Submitted on 12 Jul, 2019 at 12:55 PM
चलो एक बार फिर शुरू करते हैं पतझड़ गई, इक नई बहार लाते है उम्मीदों के जो झड़ गए थे फूल वो इक बार फिर से खिलाते है
Submitted on 12 Jul, 2019 at 12:53 PM
गुजरे हुए वक़्त की पोटली बाँध दीजिए आने वाला वक़्त बाहें फैलाए खड़ा है
Submitted on 12 Jul, 2019 at 12:49 PM
आप कोशिश क्यूँ नहीं कर लेते हमे तोड़ने की जनाब! हम वक़्त से लड़कर मजबूत हुए है
Submitted on 12 Jul, 2019 at 12:45 PM
मेरी माँ मेरा इंतज़ार कर रही है जीने के लिए इतनी प्रेरणा बहुत है
Submitted on 12 Jul, 2019 at 12:41 PM
उनके एहसानों का बदला कोई देगा नहीं फ़िर भी, ना चांद चमकना ना सूरज उगना छोड़ता है कभी
Submitted on 12 Jul, 2019 at 12:32 PM
गिनती आती है पर खुशियां गिन नहीं सकते हँसना आता है फ़िर भी ग़मों की गिनती छोड़ी नहीं
Submitted on 12 Jul, 2019 at 12:30 PM
तुम समझना चाहो तो हम उलझा नहीं सकते तुम उलझना चाहो तो हम समझा नहीं सकते
Submitted on 12 Jul, 2019 at 12:27 PM
हारने से पहले सोच लेना वो भटकती हुई नदी पत्थरों से लड़कर सागरों से जा मिलती है, कभी वापस नहीं मुड़ती हार के!
Submitted on 12 Jul, 2019 at 12:25 PM
मंज़िल का तो तुम्हें पता ही है फ़िर राहों में भटक जाने से डरना कैसा
Submitted on 12 Jul, 2019 at 12:23 PM
मेरे दिल ने कहा, मैं तो यहीं हूं तुम भटक रहे हो कभी हमसे ही पूछ लिया होता
Submitted on 12 Jul, 2019 at 12:21 PM
प्रेरणा की खोज में जाने कहाँ कहाँ भटके फ़िर पापा आके बोले चलो उठो! तुम कर सकते हो और बस इतना काफ़ी था
Submitted on 11 Jul, 2019 at 12:56 PM
Look at the mirror, that one person is already and always with you to motivate you, to help you be better than that you already are.
Submitted on 11 Jul, 2019 at 12:51 PM
अपनी वास्तविक स्थिति से अवगत रहना चाहिए ना की काल्पनिक जगत के चकाचौंध के लिए मन को दुर्बल करें