"ग्रंथिया" निचोड़ी जा सकती है ?? मस्तिष्क ग्रंथियां सारी ऊहापोह, उद्विग्नता, अधीरता, रंज, दुःख, शोक व्यथा। निचुड़ जाती बह जाता विषाक्त रक्त कपड़े से बहते नीर की भाँति.. ~★रूद्राक्षी★~
When you look back you find yourself smiling more than ever...... And then you remember this smile forever...... ~Rudrakshi~
May your happiness grow like a multiplication .. Your grief reduced like an interest .. This birthday is my blessing,You move ahead .. "Rudrakshi"
तेरे संघर्ष से ही शोहरत आज मुझे हासिल हुई । तू पिसती रही,घिसती रही माँ हीरा मैं बनती गई। "रूद्राक्षी"
तेरी यादों के झरने तले बैठ कर मैं अश्कों में भीगे जाती हूं। पतझड़ का एक रुख पाकर मैं पत्तो सी टूटे जाती है। "रूद्राक्षी"