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Share with friendsमेरा मन तेरा मन कितना अजीब है??? जब मे गलत होता हू तो.. मे समझौता चाहता हू.... परन्तु जब गलती सामने वाले की हो तो... तब मुझे न्याय चाहिए...
तेरे हुसन कि क्या तारीफ करू, क्या दीदार करू... तुझे इस कदर तरासा कुदरत ने,मेरी आँखे देख रही है तुझे, टिक नहीं रही अक्ष पर, क्या करू,क्या करू, बताओ मुझे मेरे अल्फाज़ मेरे मन को नहीं समझ रहे, क्या लिखू क्या बताऊ यारों कुछ समझ नहीं आ रहा है, देखु या लिखू... एक शब्द मे लिखना दर्द है यारों, मे उसकी और खींच रहा हू, मेरा अस्थितव उसमे समा रहा है, यारों बचालो, उसका यौवन उसका श्रृंरंगार मुझे मदहोस कर रहा है.
तेरे हुसन कि क्या तारीफ करू, क्या दीदार करू... तुझे इस कदर तरासा कुदरत ने,मेरी आँखे देख रही है तुझे, टिक नहीं रही अक्ष पर, क्या करू,क्या करू, बताओ मुझे मेरे अल्फाज़ मेरे मन को नहीं समझ रहे, क्या लिखू क्या बताऊ यारों कुछ समझ नहीं आ रहा है, देखु या लिखू... एक शब्द मे लिखना दर्द है यारों, मे उसकी और खींच रहा हू, मेरा अस्थितव उसमे समा रहा है, यारों बचालो, उसका यौवन उसका श्रृंरंगार मुझे मदहोस कर रहा है.