PRADEEP TIWARI
Literary Lieutenant
17
Posts
0
Followers
0
Following

None

Share with friends
Earned badges
See all

मेरा मन तेरा मन कितना अजीब है??? जब मे गलत होता हू तो.. मे समझौता चाहता हू.... परन्तु जब गलती सामने वाले की हो तो... तब मुझे न्याय चाहिए...

तेरे हुसन कि क्या तारीफ करू, क्या दीदार करू... तुझे इस कदर तरासा कुदरत ने,मेरी आँखे देख रही है तुझे, टिक नहीं रही अक्ष पर, क्या करू,क्या करू, बताओ मुझे मेरे अल्फाज़ मेरे मन को नहीं समझ रहे, क्या लिखू क्या बताऊ यारों कुछ समझ नहीं आ रहा है, देखु या लिखू... एक शब्द मे लिखना दर्द है यारों, मे उसकी और खींच रहा हू, मेरा अस्थितव उसमे समा रहा है, यारों बचालो, उसका यौवन उसका श्रृंरंगार मुझे मदहोस कर रहा है.

तेरे हुसन कि क्या तारीफ करू, क्या दीदार करू... तुझे इस कदर तरासा कुदरत ने,मेरी आँखे देख रही है तुझे, टिक नहीं रही अक्ष पर, क्या करू,क्या करू, बताओ मुझे मेरे अल्फाज़ मेरे मन को नहीं समझ रहे, क्या लिखू क्या बताऊ यारों कुछ समझ नहीं आ रहा है, देखु या लिखू... एक शब्द मे लिखना दर्द है यारों, मे उसकी और खींच रहा हू, मेरा अस्थितव उसमे समा रहा है, यारों बचालो, उसका यौवन उसका श्रृंरंगार मुझे मदहोस कर रहा है.

तेरी आँखे... मेरी आँखे... जब यूँ मिली तो इस कदर मेरी गर्दन झुकी की आज तक झुकी की झुकी है. तेरा वह देखना ही तो मार डालता है मुझे, कमबख्त मै जीना चाहता हूँ, छिपा ले मुझे तेरे आँचल मे...


Feed

Library

Write

Notification
Profile