Dr. Tulika Das
Literary Colonel
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जो महसूस करती हूं बस उसी को उतारने की , शब्दों में ढालने की कोशिश है ।

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जो बीती थी वो उम्र थी तुम साथ होते तो जिंदगी होती

बन कर खिलाड़ी खेलते हैं हम कुछ यूं जिंदगी जीते हैं हम । कभी हार , कभी जीत से मिलना होता है, मिले जो चोट कभी , तो गले उसे भी लगाना होता है । हौसलों का साथ निभाना पड़ता है कोशिशों को मंजिलो तक पहुंचाना पड़ता है ।

जुबां पर जो याद है मां के हाथों का वह स्वाद है।

गर हाथ अपना बांधे रखोगे ईश्वर आपके हाथ कैसे थामेंगे ? अपने बंधे हुए हाथ खोलो अपनी मदद के लिए पहला हाथ अपना बढ़ाओ तभी तो ईश्वर उसबढ़े हुए हाथ को आगे बढ़कर थामेंगे अपनी मदद ईश्वर की मदद है ।


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