जो बीती थी वो उम्र थी
तुम साथ होते तो जिंदगी होती
बन कर खिलाड़ी खेलते हैं हम
कुछ यूं जिंदगी जीते हैं हम ।
कभी हार , कभी जीत से मिलना होता है,
मिले जो चोट कभी , तो गले उसे भी लगाना होता है ।
हौसलों का साथ निभाना पड़ता है
कोशिशों को मंजिलो तक पहुंचाना पड़ता है ।
जुबां पर जो याद है मां के हाथों का वह स्वाद है।
गर हाथ अपना बांधे रखोगे
ईश्वर आपके हाथ कैसे थामेंगे ?
अपने बंधे हुए हाथ खोलो
अपनी मदद के लिए पहला हाथ अपना बढ़ाओ
तभी तो ईश्वर उसबढ़े हुए हाथ को आगे बढ़कर थामेंगे
अपनी मदद ईश्वर की मदद है ।