Raj Sargam
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Writer | Poet | Song Writer | Member of Screen Writers Association, Mumbai

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तू फिफ्टी, मैं फिफ्टीन मैं रंगहीन, तू रंगीन है गज़ब का अनुपात मैं नादान, तू ज़हीन। -Raj Sargam

काश के आंखों के बाज़ार में आंसुओं की किस्में मिल जातीं ये जो कुछ लोग आंसू बहाने का ढोंग करते हैं, कम से कम पहचान में तो आते। -राज सरगम

लोग कहते हैं कि तुम्हारा दिल टूटा है, जो इतना दर्द लिखते हो? उसपे मैं कहता हूँ," हमें तो खबर ही नहीं कि हमारा भी दिल टूटा है। फिर न जाने कैसे कलम से दर्द फूटा है?"


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