इंसान लालच में खोता जा रहा है
क़ुदरत के लिए दोगला होता जा रहा है
सच कहूँ तो दुनिया में ही है सुकून
दुनियादारी में तू बस रोता जा रहा है।
कल अचानक से गाँव ने पूछा
सुकून की तलाश में शहर क्यों जाते हो?
वहाँ की आबो हवा में कुछ सूझा
या सिर्फ ज़रूरतों की फ़ेहरिस्त लाते हो?