साहित्यिक उपनाम - 'नील', जन्मतिथि -२५-०६-१९९३, वर्तमान पता- भोपाल मप्र , स्थाई पता -ग्राम - मझगवां पोस्ट सरस्वाही जिला उमारिया मप्र, राज्य/प्रदेश- मध्यप्रदेश, पूर्ण शिक्षा - स्नातकोत्तर (कंप्यूटर में), कार्य -क्षेत्र -सॉफ्टवेयर डेवलपर (भोपाल), लेखन विधा- लगातार विभिन्न विधा पर रचना लेखन... Read more
Share with friendsये सच है कि दुनिया में हर चीज बनती बिगड़ती हैं , मगर जिसकी चाहत हो, छूट जाये तो दोबारा मिलना मुश्किल होता हैं।
माफी जैसी कोई चीज़ नहीं होती, दूसरे के भयानक गलती पर अपने भावनाओं को ताक पर रख दूसरे के भावनाओं को महत्व देना माफी होता है।
जहर जहर होता है, चाहे एक बूंद कर करके पिलाओ या एक साथ। फर्क इतना हैं कि एक साथ पिलाने से व्यक्ति एक बार में मर जाता हैं। और बूँद बूँद से घुट घुट कर।
पहली बार माफ किया इसलिए कि चलो गलती की, लेकिन दूसरी बार नहीं, सिर्फ इसलिए कि दूसरे मौके में भी उसने गलती नही सुधारी।
मैं अपनी जिंदगी के गुजार चुके पल में वापस जाकर कुछ गलती सुधारने के बारें में इसलिए नही सोचता, क्योंकि तब मैं खुद के दम से कुछ करने की क्षमता नहीं रखता था। वह वक्त था, जब दूसरों के आश्रित थे। ऐसा नहीं हैं कि आज दूसरों के आश्रित नहीं है, मगर खुद को सबकुछ पाने के काबिल जो समझ रहे हैं, तब वह समझ नहीं थी। बाकी मिलना न मिलना किश्मत की बात हैं।
जहाँ कुछ लोग लड़खड़ा जाते हैं, वही कुछ और लोग खुद को सम्भाले रखते हैं। जो साबित करते हैं कि मुसीबत उनके ईमान को डिगा नहीं सकती