“
मैं अपनी जिंदगी के गुजार चुके पल में वापस जाकर कुछ गलती सुधारने के बारें में इसलिए नही सोचता, क्योंकि तब मैं खुद के दम से कुछ करने की क्षमता नहीं रखता था। वह वक्त था, जब दूसरों के आश्रित थे। ऐसा नहीं हैं कि आज दूसरों के आश्रित नहीं है, मगर खुद को सबकुछ पाने के काबिल जो समझ रहे हैं, तब वह समझ नहीं थी। बाकी मिलना न मिलना किश्मत की बात हैं।
”