Radha Shrotriya
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Poetess, writer, lyricist

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जो आसानी से हासिल हो जाती है उस चीज की कीमत इंसान नहीं करता। ~राधा श्रोत्रिय"आशा"

कुदरत की नेमत है बारिश सुखी तपती धरा के आंचल को हरियाली से भर देती है। ~राधा श्रोत्रिय"आशा"

आंखों में जो ख़्वाब की सूरत में रहा करता था अब किरकिरी बन गया है आंखों की। _राधा श्रोत्रिया"आशा"

#समय समय जब अपनी चाल चलता है इंसान अपनी सारी चालें भूल जाता है। _राधा श्रोत्रिय"आशा"

कम खाकर गम खा लेना पर, कभी भी किसी कमजोर पल में अपनी परेशानी का ज़िक्र अपनों से न करना सिवा दुःख के तुम्हें कुछ हासिल न होगा। _राधा श्रोत्रिय"आशा"

जिन रिश्तों को निभाने में एक उम्र बिता दी उनमें अपना वजूद ढूंढ रही हूं मैं! _राधा श्रोत्रीय"आशा"

छुट्टी को छुट्टी दो ना कोरोना प्लीज गो ना _राधा श्रोत्रिय"आशा"

उठे ही थे दुआ में हाथ, मेरे लब भी सलामती उसकी रब से माँग रहे थे! _राधा श्रोत्रिय'आशा'

खामोशीयां डरान लगती है जब मुझको लफ़्ज़ों की तमाम शहर का शोर अपनी कलम में भर लेती हूँ मैं राधा श्रोत्


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