I'm Deepika Raj and I love to read StoryMirror contents.
Share with friendsदूर हो चाहे मंजिले कितनी, और रास्ते हो चाहे कच्चा -पक्का, सफ़र आसान हो जाता है, जब हो हमसफर नेक दिल सच्चा।।
#किताब जीवन की किताब का हर एक अक्षर स्वर्णिम समान, पाठ इस किताब का पढ़ लें, जो नर - नार, विज्ञ बन हल कर लें जीवन के हर सवाल- जवाब । © दीपिका राज सोलंकी
श्वेत प्रपत्र पर रच डाली कालिमा(स्याही) से कुछ आकृतियां बन गई जीवन की वह कलाकृतियां, हर लेती जो जीवन की हर कालिमा (कालापन)।
धाराधर से छूट पावस,निदाध धरा पर आईं, झूम उठे द्रुम दल,केकी भी झूम -झूम कर अपने पंख फैलाएं, पावस के शुभ आगम से, माही नवयौवन को पाएं
प्रियतम भाये परदेस माहॅं, श्रावण मास तीज बीत गई विरह माहॅं, बढ़भागी है नार वो, देखी ना जिसने विरह की पीढ़ ये।
आश का प्रकाश पुंज ज्योत्सना अंधियारी रात संग अंबर पर बिखेरे दूधिया रोशनी के कण, चल -अचल हर्षित हो जाएं, ज्योत्सना का निश्चल निर्मल जब सानिध्य पाएं।
वक़ार की तलब रखते जों फ़र्द, गुमान को रख अलग,हर इंसा को इंसा समझ, मुख़ालिफ़ को भी ख़ुदा का बंदा समझ, देख!तेरे वक़ार में होगी कितनी बढ़त।