GAUTAM "रवि"
Literary Colonel
AUTHOR OF THE YEAR 2021 - NOMINEE

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सीख रहा हूँ, मन की बातों को शब्दों में पिरोना।

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तुमने तो बस एक शख्स खोया है, मैंने तो अपनी पूरी शख्सियत खो दी।

मुझसे मेरी बेरुखी की वजह मत पूछो, मुझे खुद नहीं पता मैं क्यूँ ख़फ़ा हूँ!!

मेरे सारे हक छीनकर मुझपर हक जताता है, कमाल है, ऐसे भला कौन इश्क़ निभाता है??

नाराजगी औरों से होती तो चिल्लाकर चुप हो जाता, इस बार खुद से ही गुस्सा हूँ, इसलिए चुपचाप रो लेता हूँ।।

वो सोचता रहा कि मैं कुछ कहूँगा, और मैं उसके समझने का इंतजार करता रहा। ©Gautam 'रवि'

बहुत खराब है मेरी आदत, आदत तुम्हें भी गलत लग जायेगी, ज्यादा बातें मत किया करो मुझसे, वरना तुम्हें भी मेरी लत लग जायेगी।

बेफिज़ूल अफ़सोस जताने में नहीं, अब शुक्रिया अदा करने में लगा हूँ।

तुम चरित्र बदलने में लगे रहो, मैं तकदीर बदलने में लगा हूँ।

अब मतलब की बातें करते हैं सब यहाँ, वो दौर कहाँ गया जब बेमतलब बातें होतीं थीं।


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