पढ़ाई ही मेरी दिन थी
पढ़ाई ही मेरी रात थी
जबतक तूने न बरा मेरा मांग
अब तूही मेरा दिन हो तूही मेरा रात हो
कैसे करी तुम्हारे लिए मेरा प्राण कुरबान
सोचे थो समज आया तेरे दिल पे मेरा स्तान
कैसी थी में तुम्हारे बग़ैर
सोचकर हस्ती हु बार बार
प्यार हुवा है मुझे तुमारे वझे
ऐसी इश्क़ की न होगी पराजय