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‘बंकर’ के अंदर मैं अकेला खड़ा हूँ तुम्हारी खुशियों की ख़ातिर ‘बंकर’ के अंदर मैं अकेला खड़ा हूँ तुम्हारी खुशियों की ख़ातिर
किसकी आँखों के आंसू बन किस सरयू में डूब गए तुम। किस कानन में वेश बदलकर किस वड़वानल में राख हुए।। ... किसकी आँखों के आंसू बन किस सरयू में डूब गए तुम। किस कानन में वेश बदलकर किस वड...