मैं एक रचनाकार हूँ, मुझे कविता लिखने का शौक है। और साहित्य की नयी-नयी विधायें सिखने की कोशिश करती रहती हूँ।
प्रेम का छा रहा नशा, चढ़ा श्याम का रंग। पागल सी फिरने लगी, देखे दुनिया दंग।। दीप्ति शर्मा
न जाने क्या हुई खता, रूठा है मनमीत। दृग दरस को तरस रहे, कब लौटेंगे मीत। दीप्ति शर्मा