गुजरती फुरकतों का शरमाया,जब घेर लेता है,
अपना हमसाया भी जब अपनी, नजरें फेर लेता है।
जी तो लेता हूं तुझसे दूर, लेकिन आज भी "नीरज",
तेरी यादों का झौंका,कतरोखेर देता है।।
-नीरज अकेला
जफाये दौर ने इस कदर, परेशान किया है,
जख्म भी ऐसे दिए हैं..जैसे, अहसान किया है।
चलो हम भी लगाए देते हैं,अर्जी मोहब्बत की,
बारिश-ए-वेवफाई ने बहुत, नुकसान किया है।
-नीरज अकेला,