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Share with friendsजब से वो जिन्दगी में आये, ऐसी आदतें छुटती चली गयी जिन्हें लोग ऐब कहते हैं, और वो आदत सी बनती चले गए.
पिछले 35 वर्षों से मेरी जीवन साथी मेरे मन का अच्छा अच्छा खाना खिला कर मेरी हर इच्छा पूरी कर रही है. उसको प्रणाम व धन्यवाद.
भाई समान मित्र, छोटे डाक्टर भाई (कजीन) व् मेरी जीवन साथी को मेरे स्वास्थ्य को ६० वर्ष की ऊम्र में ठीक रखने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद.
एक मित्र भाई ने कुछ समय पूर्व एक किताब के बारे में बताया – “वीर गाथा – परम वीर चक्र पाने वाले सेना के २१ जवानों की”. Published by NCERT. सभी के लिए बार बार पढने के लिए यह किताब अमूल्य धरोहर है. सॉफ्ट कॉपी गूगल – इन्टरनैट पर भी उपलब्ध है.
माता पिता का पालन पोषण मेरी उपलब्धि, गुरुओं द्वारा दिया ज्ञान मेरी उपलब्धि व् मेरी जीवन साथी मेरी उपलब्धि. सभी को नमन.
क्रोध करने के उपरान्त, मन की अशांति,आत्मग्लानि,क्षोभ, निराशा,शारिरिक व् मानसिक दुर्बलता होती है, अतः क्रोध नही करना चाहिए केवल अधर्म के विरुद्ध युद्धकाल (जब युद्ध चल रहा हो) में एक हथियार की तरह कुछ समय के लिए संयमित आवेग से क्रोध करने की अनुमति है
२५ वर्ष माँ और अब ३५ वर्षों से मेरी जीवन साथी ने सुबह के नाश्ते में परांठा, सूखे-आलू की सब्जी व् दही की अच्छी आदत डाल दी है अन्य लोग इसे बुरी आदत कहते हैं, लेकिन उनकी बात निराधार है हमें पूरी आशा है कि मेरी जीवन साथी इस अच्छी आदत को निभाती रहेंगी