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Share with friendsचांद को पाना मुमकिन नहीं, फिर भी आशाऐं कम कहा, मैं अगर छु लुं तुझे फिर तू चांद कहा/ नजरें थी जबतक टिकी तुझपे, लगा हर मुसकान मेरी हैं/ नजरें झुकीं तब जहाँ दिखा, जग की निगाहें तुझपे है/ फिर भी निगाहों को रोक कहा, जब देखुँ तुझे फिर ये जहाँ कहा/ पा लुं तुझे आशा यही, फिर सच और झूठ में फर्क कहा/
दिल आप का बहुत बड़ा है, क्योंकि हम आप के दिल में है// फर्क नहीं परता, चाहे परे किसी कोने में है// दिल मेरा छोटा हि सही, पर माँ और आप के अलावा इसमें कोई और नहीं//