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बलिहारी जाऊँ आपकी किस्मत पे, तू नज़र उठाये तब तक, धूल से फूल बन जाती हूँ। बलिहारी जाऊँ आपकी किस्मत पे, तू नज़र उठाये तब तक, धूल से फूल बन जाती हूँ...
नहीं मालूम इस सिलसिले में, कितना भ्रम समाता हैं। हो हकीक़त या वहम मेरा, पल भर सही, पर अपना सा अह... नहीं मालूम इस सिलसिले में, कितना भ्रम समाता हैं। हो हकीक़त या वहम मेरा, पल भ...