@vishwa-prakash-gaur

Vishwa Prakash Gaur
Literary Captain
14
Posts
0
Followers
0
Following

None

Share with friends

कस्तूरी मृग जैसे तुझको ढूंढा द्वारे द्वारे। ढूंढा हर पल दिन दोपहरी, ढूंढा सांझ सकारे। मालिक मेरा मुझमें व्यापित, रहता साथ हमारे। विश्व प्रकाश गौड़।

हर लम्हा बिखेर जाता है, यादों के अनमोल खजाने को, जरूरत है तो उन्हें समेटने और सहेजने वाले खूबसूरत दिल की। विश्व।

मां होती तो अंतस का बचपन भी जिन्दा रहता । उसका आंचल मिलता तो मन उड़ता परिंदा रहता ।।


Feed

Library

Write

Notification
Profile