आज़ाद चिंतन आज़ाद मन आज़ाद लेखन अंकित पेशे से इक बैंकर है, पर बस मात्र यही उसकी पहचान नहीं है। वो गाता है, बजाता है, खेलता है, लिखता है, पढ़ता है और पढ़ाता भी है, जिंदगी के हर अहसास को बखूबी इज्जत देता है। इस पिंजरे सी धरती में वो खुद को 'आज़ाद' लिखता है, स्वभाव से विद्रोही है पर सीने में दिल... Read more
Share with friendsजो जीतते हैं बाज़ी उन्हें सब सलाम करते हैं, पर वंदनीय हैं वे भी जो हौसले पे काम करते हैं, माना रोगी के लिए वैद्य सा कोई और नहीं होता, पर अहसान उनका भी होता है, जो दवा का इंतजाम करते हैं।
मानना क्या है कि कुछ मानना नहीं है जानना क्या है कि कुछ जानना नहीं है तो फिर मान लो ना और उसे जान लो ना
सकता हूं कि हार जाऊं कल को, पर जीत मानूंगा, गर साथ तब भी तुम्हारा हो साथ तो मैं उस दरिया में भी जाऊंगा कूद, जिसमें कहीं कोई किनारा न हो
आसान नहीं अतुलित बल पाना, व्यवहार में इतनी विनम्रता लाना, बिन जिनके कठिन है ‘राम’ हो पाना, आसान नहीं है ‘हनुमान’ बन जाना