अंकित शर्मा (आज़ाद)
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आज़ाद चिंतन आज़ाद मन आज़ाद लेखन अंकित पेशे से इक बैंकर है, पर बस मात्र यही उसकी पहचान नहीं है।  वो गाता है, बजाता है, खेलता है, लिखता है, पढ़ता है और पढ़ाता भी है, जिंदगी के हर अहसास को बखूबी इज्जत देता है। इस पिंजरे सी धरती में वो खुद को 'आज़ाद' लिखता है, स्वभाव से विद्रोही है पर सीने में दिल... Read more

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तुलन पत्र पढ़ता जीवन का जिसमें सुख और दुख के खाचें, रहा बराबर योग सदा ही, दोनों तरफ कितना ही जांचें

जो जीतते हैं बाज़ी उन्हें सब सलाम करते हैं, पर वंदनीय  हैं वे भी जो हौसले पे काम करते हैं, माना रोगी के लिए वैद्य सा कोई और नहीं होता, पर अहसान उनका भी होता है, जो दवा का इंतजाम करते हैं।

मानना क्या है कि कुछ मानना नहीं है जानना क्या है कि कुछ जानना नहीं है तो फिर मान लो ना और उसे जान लो ना

सकता हूं कि हार जाऊं कल को, पर जीत मानूंगा, गर साथ तब भी तुम्हारा हो साथ तो मैं उस दरिया में भी जाऊंगा कूद, जिसमें कहीं कोई किनारा न हो

सभी खिड़कियों पे जिनकी, स्याह काले हैं शीशे, एतराज उनको, चंद परदों से मेरे।

वो जो मेरी आंख में आंसू देखकर मुस्कुराता है ऐ रब मेरा दिल लबों पे उनके खुशी चाहता है

आसान नहीं अतुलित बल पाना, व्यवहार में इतनी विनम्रता लाना, बिन जिनके कठिन है ‘राम’ हो पाना, आसान नहीं है ‘हनुमान’ बन जाना

यही जानने का शायद अब जतन मैं हूं, कि तन मैं हूं, या भीतर से इसके बोलता मन मैं हूं।

ज्यों अग्नि में ताप हरदम, जल में सहज तरलता, हे ईश मेरे ह्रदय में भर दो सहज सरलता


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