|| अनजान सफ़र || फ़िर एक रेलवे स्टेशन , फिर एक ट्रेन का इंतजार ! फिर एक सफर , फिर उसी उधेड़ पन मैं उलझा मन की , न जाने ये जिंदगी की गाड़ी कहां जाकर ठहरेगी , एक सुकून भरी सांस अब कहां जाकर मिलेगी ! - शुभम पाटीदार
|| अनजान सफ़र || फ़िर एक रेलवे स्टेशन , फिर एक ट्रेन का इंतजार ! फिर एक सफर , फिर उसी उधेड़ पन मैं उलझा मन की , न जाने ये जिंदगी की गाड़ी कहां जाकर ठहरेगी , एक सुकून भरी सांस अब कहां जाकर मिलेगी ! - शुभम पाटीदार
|| आजादी || 🤘 लफ़्ज़ों में नहीं कहना अब ऐसे की, ऐ जिंदगी चल और मुझे आबाद कर दे ! हार-हार कर थक गया हूं लगता है ऐसे की, उड़ना सीख ले और खुद को आजाद कर दे।
|| आजादी || 🤘 लफ़्ज़ों में नहीं कहना अब ऐसे की, ऐ जिंदगी चल और मुझे आबाद कर दे ! हार-हार कर थक गया हूं लगता है ऐसे की, उड़ना सीख ले और खुद को आजाद कर दे।
खुद को जरा संभाल लो , वो अब कयामत बरसाने निकला है ! जिसे जीने की शिकायत है , वो आज लोगों को मरवाने निकला है ! - शुभम पाटीदार
खुद को जरा संभाल लो , वो अब कयामत बरसाने निकला है ! जिसे जीने की शिकायत है , वो आज लोगों को मरवाने निकला है ! - शुभम पाटीदार