अजय पटनायक
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शिक्षा- एम. ए .एल एल बी, डिप्लोमा, कार्यक्षेत्र- जिंदल पावर प्लांट

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*तेरी उम्मीदों को अंजाम दे दूं !🍁* *हर खुशियों को पैगाम दे दूं !🌺* *घड़ी की सुई है मेरी जिंदगी!⏱️* *जरा ठहरने तो दे वक्त तमाम दे दूं*😊

पर्यावरण दिवस की हार्दिक 🌱🌱🌱 शुभकामनाएं 🌲🌲🌲🌲🌲🌲 *तपती धरती देख,पेड़ हैं कटते सारे। खाली जंगल आज,जानवर फिरते मारे। बिकती देखो सांस,प्राण अब मानव हारे। छुपते अब तो मेघ,दिखा दो टिम टिम तारे। अजय 'मयंक'✍️

आओ गीत लिखें ------ विष्णुपद छंद [सम मात्रिक] विधान – 26 मात्रा, यति ---16,10 पर , पदांत वाचिक भार --- 112 l कुल चार चरण, क्रमागत दो-दो चरण तुकांत l 〰️〰️〰️〰️〰️🌺 सपने अपने होते सुनलो,सोचो क्या करना। जो चाहोगे मिल जायेगा,आह नही भरना। गिरकर उठना उठकर चलना,राह कठिन चुनना। जो दिल है कहता तुम समझो,बात सही सुनना। जीत मिलेगी खुशियाँ होगा,अहम नही भरना। सपने अपने होते सुनलो,सोचो क्या करना। *अजय '

*शंकर छंन्द* *शब्द-निर्देश* 〰️〰️〰️〰️〰️🌺 धरती देखो प्राण मांगती,दे रही निर्देश। सांसो को तुम भी तरसोगे,भरे स्वार्थी देश। देख धरा भी रोती रहती,न्याय करता कौन। कटते जंगल गंदी नदियाँ,मनुज रहते मौन। प्राण वायु होते अब महँगे, बस यही सन्देश। धरती देखो प्राण मांगती,दे रही निर्देश।। अजय 'मयंक'✍️


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