मेरे कलम से अगर रिश्ते जुडते हैं तो उसे कभी सूखने ना दूंगी
सियाही अगर खत्म भी हो जाये तो अपने खून से ज़िन्दगी दे दूंगी
~ आसिमा जमाल
बाज़ार का खिलोना समझ कर खेला उसने
टूटने पर कूड़ा समझ कर फेका उसने
~ आसिमा जमाल
खाली पेट है उसका
कुछ घिजा़ तो खिलादो
रूह भी भूखी होती है
उसको इबादत से पुरनूर करदो
~आसिमा जमाल
ना करो किसी से शिकवा ये तुम्हारे किरदार को गिरा देती है
बुधिमान तो वो है जो दूसरों की आदतों की आदत बनाले
~Asima Jamal
कलम हो तो चार दिवारियों में भी आज़ादी महसूस होती है
~ Asima Jamal
मिट्टी से बने मिट्टी में रहे मिट्टी में चले जाएंगे
~ Asima Jamal
रिश्ते में अगर कुछ खटटा मीठा ना हो तो ज़िन्दगी अधुरी लगती है
आसिमा जमाल
माचिस कि फ़ितरत कभी ना अपनाओ.. वो खुद जलकर दुसरों को भी जला देती है
कभी यतीम को पिकनिक पर ले चलें.. खुशी दुगनी होजाएगी