उम्र का हर हिस्सा तुझे अर्पण कर दूं
खुद को तुझमें देखुं, तुझे दर्पण कर दूं।
सोंचा उसे शामिल कर लूँ अपने अल्फाजों में
पर वो बेवफा इसके काबिल नहीं।
-- अमित प्रेमशंकर
💔💔😭💔💔
शब्दों के संग जीना है अब
शब्दों के संग मरना!
एक बात को मानो यारों
प्यार कभी ना करना!!
कवि:- अमित प्रेमशंकर 😭💔
मुझे तैरना नहीं आता था
इसलिए आंसुओं के सागर में ढकेला गया।।
कवि:- अमित प्रेमशंकर ✍️
दिल ❤️ इस क़दर टुटा है कि
आगे कुछ लिखा नहीं जाता।।
कवि:- अमित प्रेमशंकर ✍️
अपनी मुस्कुराहट को संभाले रखना
सबसे बड़ी कारिगरी है।।
कवि:- अमित प्रेमशंकर ✍️
मैं तो हार गया लेकिन मेरे अनुभव नहीं हारे
उन्हें पता है कि तुम एक दिन जरूर लौट कर आओगी।।
कवि:- अमित प्रेमशंकर ✍️
एक सच्चा कलाकार किसी दूसरे
कलाकार की कभी निंदा नहीं करता।।
कवि:- अमित प्रेमशंकर ✍️
मैं उसे खो न जाऊं, इस डर से झुकता रहा
और वो मुझे कमजोर समझ झुकाते चले गए।।
कवि:- अमित प्रेमशंकर ✍️