Teacher
Share with friendsसभी संबंधों में अति आवश्यक है-समर्पण, त्याग, निस्वार्थ भाव सेवा। जब यह सब चीजें प्रेम में ऊपर हो जाती हैं तो वह मज़बूत गहरा और पूज्यनीय हो जाता है।
रूप और आकर्षण में बंधा हुआ प्रेम केवल एक वासना है, जो प्रेम का क्षणिक अनुभव है। यह चिरस्थाई नहीं हो सकता।
सभी प्रेम संबंधों में अति आवश्यक है,-समर्पण, त्याग, निस्वार्थ भाव सेवा। जब यह सब चीजें ऊपर हो जाती हैं तो वह प्रेम मज़बूत और गहरा या कह सकते है कि पूज्यनीय हो जाता है।
प्रेम अन्तर्मन में निहित एक विशेष अनुभूति है, जो हमारे अन्तर्मन को पवित्र और सुन्दर बनाती है। कहा जाता है कि प्रेम के बिना मनुष्य निर्जीव एवं प्राणरहित है। केवल ढाई अक्षर का यह शब्द 'प्रेम' हमारे जीवन में बहुत महत्व रखता है। जीवन के हर मोड़ पर हमें प्रेम बनाता है,कभी प्रेम हमें भावुक और कमजोर भी बना लेता है।