कल्पनाओं से परे.. यथार्थ के कठोर धरातल पर.. लिखने की एक छोटा सा प्रयास..✍️जय श्री कृष्ण 🙏
उड़ जाता है पंछी इक दिन तन पिंजरे का छोड़, विधना का विधान है ये, इस पे नहीं किसी का ज़ोर
ख़्वाब सारे टूट गए हैं, नींद आँखों से रूठ गए हैं,,,,
किसी के सपने तोड़कर, अपने सपने पूरे नहीं होते,
इस स्वार्थ भरी दुनिया में लोगों के ईमान पर धूल बहुत है दोस्तों, बादल बनकर अंतरिक्ष से बरस जाने को जी चाहता है,
कभी किसी के सब्र का इतना इम्तिहान मत लेना,कि उसका सब्र ही टूट जाए........
माँ-बाप की कब्र पर बच्चों के आशियाने नहीं बना करते..