Sarvesh Saxena
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मुझे कहानियां और कविताएं लिखने का शौक है |

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अजीब है.... ये मौसम भी इस कदर बेरुखी दिखा रहा है, ना चाहते भी तुम्हारी याद दिला रहा है |

बहुत बे रंग थी मेरी ये जिंदगी, तुम मिल गई तो जिंदगी रंगों से भर गई, ठीक वैसे, जैसे बेरंग पानी, किसी रंग से मिलकर, उस रंग का हो जाता है....

वक्त मिले तो ठहर कर देख लेना पीछे.. उन मंजिलों को अब तक तेरे कदमों का इंतजार है.. जिनसे कभी तूने रुख मोड़ लिया था....

*फिर कभी साथ बैठो...* *तो बयां दर्द भी हो...* *अब यूँ दूर से पूछोगे...* *तो ख़ैरियत ही कहेंगे !!!*

गुलाब दिवस मनाने वालों, इस बात का ध्यान रखना, अक्सर गुलाब चाहने वालों के हिस्से मे कांटे आते हैं ....

मेरे शब्दों को इतनी शिद्दत से ना पढ़ा करो यारो, कुछ याद रह गया तो हमें भूल नहीं पाओगे।

थक सा गया है, मेरी चाहतों का वजूद. अब कोई अच्छा भी लगे, तो हम इज़हार नहीं करते..

मुझे मौत से डर नहीं लगता ...... ज़िन्दगी से लगता है ..... क्यूँ कि ....... मौत तो एक बार मारती है .... पर ये ज़िन्दगी तो रोज़ मारती है .....

कैसे चुकाऊंगा तेरा अहसान, ए मेरे दोस्त ...... वादा है ये मेरा तुझसे कि .... एक दिन जाऊँगा ख़ुदा के पास ..... तेरी सलामती की दुआ मांगने ....


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