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Kabhi dikh jaya kr aaine ki tarah Ab tasveer bhi dhundhli dikhti h
ढली हुई एक शाम थी बातो बातो मे वो एक याद थी
कभी दिख जाना आईने की तरह अब तस्वीर भी तेरी धुंधली दिखती है