शौक़ नहीं है मुझे लिखने का... बस, जब दिल के जज़्बात बयां करने में जुबां नाकामयाब हो जाती हैं.. तो काग़ज़ और कलम का सहारा ले लेती हूँ।
Share with friendsमोहब्बत इस क़दर है तुमसे, कि तुम्हारी दूरियों से भी रिश्ते निभा लिया करते हैं। तुम अक़्सर चाय पीते नज़र आते हो ख्वाबों में, और हम पकौड़े बना लिया करते हैं।
उनका दोस्ती निभाने का अंदाज़ का कुछ यूँ है जनाब, कि जो चेहरा वजह हुआ करता था नाख़ुशी का हमारी.. उसे सौ बार आईने में निहारा करते हैं।
मुस्कुराना तो आदत है मेरी, किसी के दिल को चुराने की साज़िश नहीं। नग़्मे मोहब्बत के लिखती हूँ अक़्सर, आशिक़-मिज़ाज हूँ आशिक़ नहीं।
दिल-ए-ख्वाहिश है कि तुम्हें ये पैग़ाम लिख दूँ, तुम्हारी यादों में ऐ सनम मचलती शाम लिख दूँ। सिलसिला ख़ामोशी का बहुत हुआ अब, इजाज़त हो तो इक चिट्ठी तेरे नाम लिख दूँ!
नवजीवन का प्रमाण लिए जिस्म से निकला रक्त है मेरा कलंक नहीं है.. ना है ये धब्बा, ये तो लाल इश्क़ है मेरा।
कुछ इस क़दर छाया तेरा सुरूर के तेरा पल भर का साथ भी हमें कर देगा मग़रूर यूँ तो ना जाने कितने हसीन चेहरे हैं ज़माने में, मगर.. ये नज़र है कि तेरे चेहरे से हटती नहीं, मेरे हुज़ूर। -Sunshine
हमको तो ऐ ज़िन्दगी तेरा हर इक रंग है गँवारा क्यूँकि बड़ी मनचली है तू , भला नसीब में कहाँ है दोबारा। -sunshine
उनकी निगाहों की ख़ूबसूरती का बखान कुछ यूँ है जनाब, कि जो चेहरा वजह हुआ करता था नाख़ुशी का हमारी.. उसे सौ बार आईने में निहारा करते हैं। -Sunshine