Jaya Bhardwaj
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सभी को मयस्सर नहीं जिंदगी में सुकून, कहीं पर तो, ग़मों की तादाद बहुत ज़्यादा है। हो जायेंगे रूखसत हम भी तेरी जिंदगी से‌ । बस बोल देना कि अब, उनसे वफ़ा निभाने का तेरा इरादा है।

समन्दर सारी रात बहता रहा, मुझसे अश्क उधार लेकर। ख़ुदा को जब रहम आया, तो सुबह बारिश हुई। सावन की फुहार लेकर।

समन्दर सारी रात बहता रहा, मुझसे अश्क उधार लेकर। ख़ुदा को जब रहम आया, तो सुबह बारिश हुई। सावन की फुहार लेकर।

ख़ुदा ने भी अज़ीब रंजिशे रची है , इंसान ए मासूम के साथ साजिशें बुनी हैं । मोहब्बत का मसीहा बनते फिरते हैं वो, और जब इश्क हो जाये तब कहते है, तेरी किस्मत तो किसी और से संजी है ।।

वो हमसे दूर होकर भी खुश हैं, तो उन्हें हमसे मोहब्बत कैसी । और अब हम उन्हें खुश भी ना देखें, तो उनसे मोहब्बत कैसी ।

किस बात का गुरुर है तुझे ऐ बन्दे ! वक्त की आंधी जब चलती है, तब रुख कुछ ऐसा बदलता है । कि वही दिया जो घर रोशन करता है, घर जला भी देता है । *जया के जज़्बात

हर रोज़ इक शाम गुज़र रही है, उस रोज़ की इक शाम के इन्तज़ार में, जब कोई एतबार देकर गया था, तुम ज़रा अब्स़ार रखना देहलीज़ पे -2 हम आयेंगे और फिर, इक रोज़ की शाम हमारे नाम होगी । *जया के जज़्बात


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