STORYMIRROR

हर रोज़ इक...

हर रोज़ इक शाम गुज़र रही है, उस रोज़ की इक शाम के इन्तज़ार में, जब कोई एतबार देकर गया था, तुम ज़रा अब्स़ार रखना देहलीज़ पे -2 हम आयेंगे और फिर, इक रोज़ की शाम हमारे नाम होगी । *जया के जज़्बात

By Jaya Bhardwaj
 266


More hindi quote from Jaya Bhardwaj
25 Likes   0 Comments
17 Likes   0 Comments
22 Likes   0 Comments
27 Likes   0 Comments
16 Likes   0 Comments