कृष्ण होना सिर्फ बाँसुरी बजाना, रास रचाना नहीं है.. कृष्ण सिर्फ राधा और उसका प्रेम नही है ...कृष्ण होना प्रेम है ..कृष्ण होना सुदामा का मित्र होना है, कृष्ण होना द्रौपदी के मान का रक्षा करना है, कृष्ण होना इसका मतलब गीता का वो कर्मयोगी योगेश्वर होना है जिसके ज्ञान के आगे समूचे संसार का ज्ञान आज़ भी बौना है.. कृष्ण होना अर्जुन का वो सारथी होना है जिसने अपने पथ पर चलने के लिए सही राह दिखाई ..