मेरा नाम डाॅक्टर शैलजा एन भट्टड़ है। मैंने प्रायोगिक रसायन विज्ञान में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की है।कईवर्षों तक महाविद्यालय के रसायन विभाग के एच ओ डी के पद पर कार्यरत रही। कविताएँ लिखने का बचपन से ही शौक रहा है।मेरी स्वरचित रचनाएं 200 से भी अधिक प्रतिष्ठित राष्ट्रीय व राज्यीय समाचार पत्र... Read more
Share with friendsसमाज में कहीं आयताकार तो कहीं वर्गाकार तो कहीं विषमबाहु त्रिकोण वाली स्थिति दिखती है। स्थिति कोई भी हो लेकिन सोच का अंत वृत्ताकार हो तो सामंजस्य बना रहता है।
अच्छाई की कोई सीमा नहीं । बुराई का कोई अंत नहीं। फिर भी सपने पूरे होते हैं । क्योंकि सच्चाई के दामन में बढ़ते और सँवरते हैं।