Shailaja Bhattad
Literary Brigadier
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मेरा नाम डाॅक्टर शैलजा एन भट्टड़ है। मैंने प्रायोगिक रसायन विज्ञान में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की है।कईवर्षों तक महाविद्यालय के रसायन विभाग के एच ओ डी के पद पर कार्यरत रही। कविताएँ लिखने का बचपन से ही शौक रहा है।मेरी स्वरचित रचनाएं 200 से भी अधिक प्रतिष्ठित राष्ट्रीय व राज्यीय समाचार पत्र... Read more

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फसल उगती है बोने से। खुशियां मिलती है खुश रहने से।

ईमानदारी और खोंट के बीच के महीन धागे के टूटते ही जीवन नमक मिले दूध की तरह हो जाता है।

समाज में कहीं आयताकार तो कहीं वर्गाकार तो कहीं विषमबाहु त्रिकोण वाली स्थिति दिखती है। स्थिति कोई भी हो लेकिन सोच का अंत वृत्ताकार हो तो सामंजस्य बना रहता है।

चाबी के अनाथ होने पर , पत्थर नहीं, चाबी ही खोजा करते हैं । संबंधों को धीरज रखकर जिया करते हैं।

सूर्य जैसे व्यक्तित्व की चाह हो। लेकिन चांद सा उतार-चढ़ाव भी स्वीकार हो। डाॅ शैलजा एन भट्टड़

बन जाते हैं सफेद, मिलकर सारे रंग I हो जब हम सब, एक दूसरे के संग I

अच्छाई की कोई सीमा नहीं । बुराई का कोई अंत नहीं। फिर भी सपने पूरे होते हैं । क्योंकि सच्चाई के दामन में बढ़ते और सँवरते हैं।

विचारों से अमीर सदैव अमीर रहता है। धन से अमीर धूप छांव में रहता है।

जरूरत मन में भय उत्पन्न करती है I भय आपको खुद से दूर ले जाता है I तब स्वाभिमान सम्मान सब अर्थहीन हो जाता हैI


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