एक राहगीर अपनी ही तलाश में!
फ़िर भी, सोचूँगी क़भी तुमसे रूबरू होने का एक दिन ज़रूर, बस ख़ाक होने दो मन के सब अरमानों का जो तुमसे ता... फ़िर भी, सोचूँगी क़भी तुमसे रूबरू होने का एक दिन ज़रूर, बस ख़ाक होने दो मन के सब अर...