हँसी बनी सखी जिन्दगी के सफर की, जिसने रोते लम्हों को हंसना सिखाया, मन की उदासी को हटाया
कभी कभी ख्वाईश होती है कि किसी मुरझाए चेहरे की हँसी लाकर दे दूँ , अपने लिये ना जी कर दूसरों के लिये जी लूँ
चलो आओ हम सब मिलकर अपने
भारत को फिर से अमन और शन्ति का चमन बनायें,
रक्त अवशोषित धरती को फूलों का रस पिलायें
भारत में सभ्यता संस्कृति सदाचार से सुशोभित गरिमामयी गाथा सम्पूर्ण्ं विश्व में अमर है
भारत नाम सुनते ही ह्रदय में देशभक्ति की तरंग देश के तिरंगे की तरह गर्व से लहराने लगती है।
वेतन जो की कर्मरुपी फल है
इस फल को जब किसी भूखे प्यासे, बे
सहारे के साथ मिल बांट कर खाया जाता है
उस दिन ये वेतन प्रसाद बन जाता है
जिस दिन तुम्हारा वेतन किसी भूखे पेट की रोटी बन जाता है उस दिन वो वेतन, वेतन नहीं भगवान कहलाता है
आधुनिकता और विकास के दौर में ये कैसी विडम्बना है कि एक गरीब वेतन की जगह आज भी रोटियाँ गिनता है कि सबके हिस्से में आ जायेगी कि नहीँ
वेतन कार्य कुशलता एवम मेहनत के रूप में प्राप्त ऐसा फल है जिसका उपभोग तभी सार्थक है जब पूरी ईमानदारी और निष्ठा के साथ अपने कार्य को निभाये।