M.A ,Ph.D( Hindi),B.Ed Writer, professor,Singer, Editor Work for Humanity, https://achintsahitya.blogspot.com/?m=1
Share with friendsदिलों में ओज भरती है सुबह की नव आहट सुनहली धूप से लब पे है बिखरी मुस्कुराहट न कोई गीत गूँजा है सजा न साज अब कोई सुकून देती है बस चिड़ियों की प्यारी चहचहाहट
तितली सी कोमल हूँ चंचलता से लबरेज़ हमेशा करवाती हूँ अपनेपन का अहसास! फिर भी पर मेरे कतरते हो इतना बता दो क्या मैं नहीं हूँ लड़कों सी खास!!
भुलाने वाले ने मुझे बेवजह भुला दिया! कम्बख्त ने यह भी न सोचा कि दूर जाते हुये अपना दिल ही वापिस ले जाता!
वफादारी का सुबूत देने के लिये दे दी अपनी जान ! हम पूछते हैं दुनिया से इससे बड़ी गद्दारी क्या होगी अपने आप से!!
वक्त से जख्म भर जायेंगे यह सोच कर ताउम्र दर्द सहते रहे दर्द सहने वाले से वक्त से वक्त संभला नहीं और दर्द देने वाले के लिए वक्त कभी बदला नहीं!