काश !दिल के राज़ दिल में ही दफ़न रहते आज नहीं तो कल तुम्हें हम अपना कहते जुबां चुप रहती अगर दिल पत्थर का होता बेवजह बर्बाद होकर गम-ए-जुदाई न सहते
काश !दिल के राज़ दिल में ही दफ़न रहते आज नहीं तो कल तुम्हें हम अपना कहते जुबां चुप रहती अगर दिल पत्थर का होता बेवजह बर्बाद होकर गम-ए-जुदाई न सहते
दिलों में ओज भरती है सुबह की नव आहट सुनहली धूप से लब पे है बिखरी मुस्कुराहट न कोई गीत गूँजा है सजा न साज अब कोई सुकून देती है बस चिड़ियों की प्यारी चहचहाहट
तितली सी कोमल हूँ चंचलता से लबरेज़ हमेशा करवाती हूँ अपनेपन का अहसास! फिर भी पर मेरे कतरते हो इतना बता दो क्या मैं नहीं हूँ लड़कों सी खास!!
भुलाने वाले ने मुझे बेवजह भुला दिया! कम्बख्त ने यह भी न सोचा कि दूर जाते हुये अपना दिल ही वापिस ले जाता!
वफादारी का सुबूत देने के लिये दे दी अपनी जान ! हम पूछते हैं दुनिया से इससे बड़ी गद्दारी क्या होगी अपने आप से!!