स्वरचित मन की उङान
देख लेना कभी किसी चौराहे पर जहाँ मेरे होने की बिलकुल भी उम्मीद न हो! देख लेना कभी किसी चौराहे पर जहाँ मेरे होने की बिलकुल भी उम्मीद न हो!