Niru Singh
Literary Colonel
AUTHOR OF THE YEAR 2021 - NOMINEE

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तेरी बातों में अब ‘मैं ही मैं' है इसलिए ‘हम' दूर चले जा रहें हैं! निरू

भरा पडा है सबका जाम यहाँ टकराने की कोशिश न कर छिटो से बच न पाएगा! नीरू

सुरों की मलिका रूठ गई इस जहाँ से नीरू

हमें गैर क्या जलाएंगे हम तो अपनों के जलाए हुए है नीरू

हम जीतने छोटे होते हैं रोते वक़्त उतना ही आवाज ज्यादा और आँसू कम..... पर जैसे-जैसे बड़े होते जाते हैं ये उतना ही उल्टा होता जाता है। नीरू

हाथों से निकल रहा तू रेत की तरह रहा साथ सूरज की तरह चमका चंदा की तरह बीत रहा तू लाखो यादों के साथ दे जा रहा साथ नए साल का नीरू

एक बेहतरीन सुबह के इंतजार में ये रात कट रही है नीरू

सारी जिंदगी की कमाई तब नजर आई जनाने के पीछे जमाना कितना निकला नीरू

कलम की जगह तलवार धराए खडे हो कबतक तुम्हारी गर्दन सलामत रहेगी। नीरू


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