Priyanka Singh
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शब्दों को समझना और समझाना चाहती हूँ ऐ जिंदगी तुझे मुस्कुरा के जीना चाहती हूँ

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वैसे तो अब मिलना होता साल दो साल मे कभी पर जरूरत पड़ने पर एक आवाज मे साथ सभी नही जरूरत दोस्ती के लिये किसी खास दिन की हमेशा खुश आबाद रहे रोज दुआओ मे माँगते यही जब जम जाये दोस्तों की मेहफिल मुस्कुराती जिंदगी कुछ दर्द दोस्त से कह पाते, बिन दोस्त अधूरी हर खुशी

परिस्थिति के अनुसार जो रंग बदलना जानता है मतलब की इस दुनिया मे वही बुद्धिमान कहलाता है #कटु सत्य

एक इच्छा पूरी होते ही दूसरी जग जाती है और हाथ लगी शांति अशांति मे बदल जाती है ये ही मानव रचित प्रकृति है शांति छुपी मन के अंदर, ऐशो आराम मे ढूंढी जाती है

माता पिता की डाँट उनका समझाना हम बच्चों को कभी कभी खटकता जरूर है पर वही सीख बन कभी ना कभी याद आता जरूर है

हम तो बारिश मे आज भी कागज की नाव चलाते हैं लोग क्या कहेंगे छोड़ बच्चों के संग भीग भी जाते है फिर चाय पकौडे़ माँ की डाँट पूरा बारिश का लुत्फ उठाते हैं

ये जो भूकंप के झटके है, पृथ्वी के संदेशे है मानव के गलत कदम मुझको बहुत खटके है छूट रहा मेरा भी संयम मानव क्यों न समझे रे पृथ्वी प्रकृति पर्यावरण खुद से भी क्यों खेले रे!!

पेड़ लगाओ, साइकिल चलाओ, पानी बचाओ पोलिथीन का त्याग , वन-पशु- पक्षी का ध्यान पर्यावरण से ही जीवन, रखो इसे स्वच्छ संभाल

माता पिता की डाँट उनका समझाना हम बच्चों को कभी कभी खटकता जरूर है पर वही सीख बन कभी ना कभी याद आता जरूर है

माता पिता भूल कर अपनी दर्द परेशानी कोशिश करते औलाद को खुशी आराम देने की औलाद भी दे मान सम्मान खुशियाँ हमेशा उन्हें बस दो हाथ जोड़ यही गुजारिश सबसे


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