मन्दिरों, मस्जिदों, गिरिजाघरों पर आज लग गए ताले
भूलकर भेद सारे एकरूप आस्था सबके मन में आ बसी
✍️#mk_monikakakodia
बरसा है कुदरत का क़हर बशर पर वबा बनकर
लौट आया है ख़ुदा भी तबीब का चेहरा बनकर
✍️#mk_monikakakodia
समेट कर सारा जहान अपने दामन में
देखना है हवा का रुख़ किस ओर का है
✍️©Monika kakodia
रास नहीं आता मुझे इस जहाँ का महशर
अजीज है मुझको तेरे इश्क़ की ख़ामोशी
✍©Monika_kakodia
ज़रा एहतियात बरतें जबां से अल्फ़ाज़ों की रिहाई में
कि खुल नहीं सकती एक बार कसी हुई गिरह धागों से
✍️Monika_kakodia
बेरुखी से वो कहता था मैं कहीं डूब मरूँगा
मैंने भी थोड़ा इतरा के कह दिया
मेरी आँखों में देखो ना
✍️Monika_kakodia