आज़ तक उस मोड़ पर मिलते निशां जो
इश्क़ के दो दिल ज़हां पर मिल रहें थें
और पौधें पेड़ पत्ते भी गवां है
जिस जगह हम तुम जुदा फिर हो गएं थें...
अनिकेत सागर
*// राधा प्रेमरंगी रंगली //*
कान्हाची वाजली बासरी
प्रेम सुरात राधा बावरली
पडली प्रेमात ती हरीच्या
राधा ही प्रेमरंगात रंगली...//