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हर वसंत क्यों क्यों संवरती हो हर वसंत क्यों क्यों संवरती हो
वृक्ष को कितना गौरवान्वित कर रही हो मैं भी खुश हूँ क्योंकि तुम महक रही हो वृक्ष को कितना गौरवान्वित कर रही हो मैं भी खुश हूँ क्योंकि तुम महक रही हो
जो कतराते हैं आगे बढ़ने से, जो रुकते हैं मंजि़ल से पहले, जो कतराते हैं आगे बढ़ने से, जो रुकते हैं मंजि़ल से पहले,