Seema Sharma
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सीमा शर्मा सहायक अध्यापक प्राथमिक विद्यालय निवाड़ा बागपत उत्तर प्रदेश

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हंसना तो सीखा है इन गुलाबों से हमने जो दुख को सहते हुए भी हंसते हैं कांटो के बीच में

हंसना तो सीखा है इन गुलाबों से हमने दुख को सेहते हुए भी हंसते हैं कांटो के बीच में

वक्त का दायरा सिमटता ही जा रहा है जिसको भी देखो वक्त का रोना रो रहा है न जाने किन कामों में इंसान उलझ रहा है इंसान को इंसान से मिलने का वक्त ही नहीं मिल रहा है

सुना है किस्मत के सितारे बुलंद हो तो जागती है किस्मत उस किस्मत को ढूंढने में सालों साल लग गए अब इंतजार करने की हमारी नहीं है हिम्मत

तन्हा तन्हा सी लगने लगी कुछ दिनों से यह जिंदगी जब से तेरी महफिल में जाना छोड़ दिया

वक्त का दायरा सिमटता ही जा रहा है जिसको भी देखो वक्त का रोना रो रहा है न जाने किन कामों में इंसान उलझ रहा है इंसान को इंसान से मिलने का वक्त ही नहीं मिल रहा है

मेरे देश की मिट्टी और मेरे देश की खुशबू का जब जिक्र कहीं आ जाता है नतमस्तक हो जाते हैं सभी जब नाम भारत का आता है


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