सीमा शर्मा सहायक अध्यापक प्राथमिक विद्यालय निवाड़ा बागपत उत्तर प्रदेश
Share with friendsवक्त का दायरा सिमटता ही जा रहा है जिसको भी देखो वक्त का रोना रो रहा है न जाने किन कामों में इंसान उलझ रहा है इंसान को इंसान से मिलने का वक्त ही नहीं मिल रहा है
सुना है किस्मत के सितारे बुलंद हो तो जागती है किस्मत उस किस्मत को ढूंढने में सालों साल लग गए अब इंतजार करने की हमारी नहीं है हिम्मत
वक्त का दायरा सिमटता ही जा रहा है जिसको भी देखो वक्त का रोना रो रहा है न जाने किन कामों में इंसान उलझ रहा है इंसान को इंसान से मिलने का वक्त ही नहीं मिल रहा है