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वक्त का...

वक्त का दायरा सिमटता ही जा रहा है जिसको भी देखो वक्त का रोना रो रहा है न जाने किन कामों में इंसान उलझ रहा है इंसान को इंसान से मिलने का वक्त ही नहीं मिल रहा है

By seema rani
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