वादा किया झूठा सा, निभा न पाए एक भी नाता सा, मेरी गलती मैने जिसकी इबादत की , उसको मेरी नही किसी और की जरूरत थी ।।
टूटे हुए कांच की तरह चकनाचूर हो गए, किसी को चुभ न जाए इसीलिए सबसे दूर हो गए, सावन की बारिश में हम चांद का नूर हो गए , किसको याद न आए, इसीलिए अपनी याद भुलाने को मजबूर हो गए ।
जो रो देते हैं वो कमज़ोर नहीं होते , क्यूंकि उन्हें इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि उनके बारे में लोग क्या कहते है
बहादुर वो नहीं होते जो गलती करके उसे छुपा लेते हैं , बहादुर वो होते हैं जो बिना डरे उस सच को सबके सामने बहार ले आते हैं