तेरी याद जब जब आती है
मेरी सांसो को महका जाती है
मेरी किताबें मेरी राजदार है
कहीं खत इन में अभी भी छिपे पड़े हैं
दो वक्त की रोटी ने मुझे मेरे गांव से दूर कर दिया
पैसा कमाने बेटा
शहर गया
के लौट कर गांव
जा न सका
मात्रभाषा से हमें पयार
आओं करें इसका सतकार
तेरी बंशी की
धुन सुन
मै हुई बावरी
तेरी मोहक
मुसकान
बनती
मुझे बावरी
जो देता कमजोर को सहारा
हर कमियों को जो करें
सवीकार
वहीं है परिवार
मेरी हर शरारत को
तूने माफ किया मां
हर जगह तूने
इंसाफ किया मां
मेरी बिगती तकदीर को
तूने ही सवार दिया मां
मेरी यात्रा चलती रहेगी
अनंतकोटी कोटी ब्रम्हांड तक।
इस शरीर से उस शरीर तक।
उसके विचार से मेरे विचार तक।
यात्रा