Rajput Vishal Bluvi
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An aspiring writer poet and satirist

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तू बन हर दीए की बाती, जल रौशन करता चला चल तू पी जा घुप्प अंधेरे को, जो है वर्षों से तम हलाहल... बन सूर्य किरण की तेज ताप, धरती की विस्मय खुशहाली हर पल हर दिन हर वर्ष तू बन, हर आग्रही की "शुभ दीपावली"...✍️🕉️

जिसको जाना है, वो अभी चला जाए जिन्दगी से... स्वच्छ भारत के दौर में, हमें भी तो छुटकारा मिले गन्दगी से...✍️😉

हाथ धोते जा रहे हैं.. पर कभी दिल भी धो लिया करें, नफरतें भी तो बीमारी की तरह ही फैल रही हैं...✍️

हाथ धोते जा रहे हैं.. पर कभी दिल भी धो लिया करें, नफरतें भी तो बीमारी की तरह ही फैल रही हैं...✍️

शुभरात्रि🙏 हाथ धोते जा रहे हैं,पर कभी दिल भी धो लिया करें,नफरतें भी तो बीमारी की तरह ही फैल रही हैं

शुभरात्रि🙏 हाथ धोते जा रहे हैं,पर कभी दिल भी धो लिया करें,नफरतें भी तो बीमारी की तरह ही फैल रही हैं

#सुप्रभातम🙏 सभी तूफान आपके जीवन को अस्त-व्यस्त करने नहीं आते कुछ आपका रास्ता साफ करने भी आते हैं!

#सुप्रभातम🙏 सभी तूफान आपके जीवन को अस्त-व्यस्त करने नहीं आते कुछ आपका रास्ता साफ करने भी आते हैं!

#सुप्रभातम🙏 ऐ आसमान, तू अपनी बुलंदी पर जो इतना इतराता है मगर ये भूल जाता है, तू जमीन से ही नजर है✍️


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