I Niyati Pathak
Share with friendsचल आ तेरे पैरो पर मर्हम लगा दूँ! ऐ मुक़दर ... कुछ चोटें तुझे, भी आई होंगी मेरे सपनों को ठोकर मारकर ! #नियति_पाठक
साँस मे तेरी बेहने के लिए, ये हवाएँ चली होंगी! देख के तेरा चेहरा, पेहली कली खिली होंगी!! यूँही नही उठते ज़नाज़े इतने एक साथ… कुछ तो वज़ह रही होंगी !!!
दुश्मन ज़माना सो गया, इश्क मे जीने वाले जाग गये, ये प्यार वालो का मोहल्ल्ल हे यारो, नफ़रत वाले भाग गये!!!
दुश्मन ज़माना सो गया, इश्क मे जीने वाले जाग गये, ये प्यार वालो का मोहल्ल्ल हे यारो, नफ़रत वाले भाग गये!!!