Nirupama Naik
Literary Colonel
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मेरी मुश्किलों में जो मेरे पास नहीं उससे मुझे अब कोई आस नहीं

ज़िन्दा है तू...अगर ज़िन्दगी खुलके जी रहा है सिर्फ़ साँस लेने को जीना नहीं कहते हर साँस पे एक घूँट ज़िंदादिली का रस न पिया तो क्या पिया..शराब की चुस्कियों को पीना नहीं कहते।

जिसके शब्द किसीके दिल को चीर दे उसे तलवार से डर नहीं लगता

मुसीबतें बिन बताए आतीं हैं मुझे संघर्ष की परिभाषा बता जाती हैं मैं जितना लड़कर आगे बढ़ती हूँ ये उतना मुझे आज़माती है। पर मैं रुकूँगी नहीं.. हाँ लेकिन थक जाती हूँ कभी कभार एक साँस भर कर फ़िरसे आगे बढूंगी ए मुसीबत तुम आते रहो लगातार...

जो सोचे सबका भला सब दबा देते हैं उसीका 'गला' अबसे नया मुहावरा बाज़ार में चला- "कर भला और कटा गला"...

सोच समझकर लिखना शायरों का काम नहीं बेवक़्त बेवजह दिल के लफ़्ज़ों को बयाँ करना और किसी के दिल तक एक पैग़ाम पहुंचाना...शायरी का अंजाम यही।

सोच समझकर लिखना शायरों का काम नहीं बेवक़्त बेवजह दिल के लफ़्ज़ों को बयाँ करना और किसी के दिल तक एक पैग़ाम पहुंचाना...शायरी का अंजाम यही।

इक जज़्बा है जुनून है न कोई नियम न कानून है फ़ना हो जाए जिस्म फ़िर भी रूह में जान रहती है इश्क़... एक ऐसा सुकून है।।

वक़्त एक सा नहीं रहता अफ़साने इसके बहुत सुने हैं वक़्त मेरा भी आएगा, बहाने मेरे पास भी होंगे दूसरों के बहाने बहुत सुने हैं...9


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